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Showing posts from July, 2011

श्री अमरनाथ यात्रा

पवित्र तीर्थ की खोज के पीछे एक रोचक कहानी है. मां पार्वती सदियों पहले शिवजी से कहा कि उसे पता है क्यों जब वह सिर की माला ( Mund माला ) जो करने के लिए भोले शंकर ने कहा, , पहनने , " जब भी तुम पैदा कर रहे हैं मैं अपने मनका के लिए और अधिक सिर जोड़ें" शुरू कर दिया और . पार्वती ने कहा, " मैं फिर से मर जाते हैं और फिर से , लेकिन आप अमर हैं. मुझे इसके पीछे कारण " बताओ. " भोले शंकर ने कहा है कि इस के लिए आप को अमर कथा सुननी पड़ेगी " शिव को मां पार्वती को विस्तृत कहानी बयान पर सहमत हुए. वह एक अकेली जगह है जहाँ कोई प्राणी अमर रहस्य को सुनने के लिए कर सकता के लिए शुरू किया और अंत में अमरनाथ गुफा के लिए चुना है. में चुप रहना चुप रहना - , वह पहलगाम ( जमानत गाँव ) में अपने नंदी ( बैल जो वह सवारी करते थे) को छोड़ दिया. Chandanwari में, वह अपने बाल ( Jataon ) से मून ( चांद ) जारी किया . झील शेषनाग के तट पर, वह सांप का विमोचन किया. वह Mahagunas पर्वत ( Mahaganesh हिल) में अ...

गेहूं के दाम काबू करने की कोशिश

बेकाबू महंगाई से परेशान सरकार गेहूं की कीमतों को काबू में रखने पर विशेष ध्यान दे रही है। सरकार अपने इन प्रयासों के तहत खुले बाजार में 50 लाख टन तक गेहूं उतारने पर विचार कर रही है ताकि इसकी सप्लाई बढ़ाई जा सके। मालूम हो कि कुछ राज्यों में गेहूं की कीमतों में एक बार फिर बढ़ोतरी का रुख देखा जा रहा है। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण सचिव टी.नंद कुमार ने शुक्रवार को यहां संवाददाताओं को बताया कि हमने खुले बाजार में 40 से 50 लाख टन तक गेहूं उतारने के बारे में सैद्धांतिक निर्णय ले लिया है। फिलहाल इसकी रूपरेखा तैयार की जा रही है। अगले 15 दिनों में कैबिनेट बैठक में यह मुद्दा उठाए जाने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को यहां राज्यों के खाद्य सचिवों की समीक्षा बैठक हुई जिसमें विभिन्न प्रदेशों में खाद्यान्न सप्लाई का जायजा लिया गया। इस बैठक के बाद ही नंद कुमार ने संवाददाताओं को इस आशय की नकारी दी। आरंभ में महाराष्ट्र और दक्षिणी राज्यों के बाजार में गेहूं उतारा जा सकता है क्योंकि वहां इसकी कीमतें बढ़ गई हैं। नंद कुमार ने एक सवाल के जवाब में फिलहाल चावल और गेहूं के निर्यात पर प्रति...

सीरियल ब्लास्ट से आईटी शहर बंगलुरू दहला

देश में आईटी का सबसे बड़ा केंद्र बंगलुरू एक के बाद एक नौ श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों से हिल गया। दिल दहला देने वाले इन विस्फोटों में एक महिला की मौत हो गई और 12 अन्य घायल हो गए। विस्फोट शरणार्थी शिविरों के पास छिपा कर रखे गए देसी बमों से किए गए। विस्फोट दोपहर डेढ़ बजे से पौने दो बजे के बीच अडुगोडी, माडीवाला, नयनदहल्ली, मैसूर रोड, रिचमंड सर्किल, पंथारापल्लया और विट्ठल मल्लया रोड पर किए गए। किसी संगठन ने विस्फोट की जिम्मेदारी नहीं ली है। लेकिन नई दिल्ली में गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि इसमें सिमी के स्थानीय कैडरों का हाथ हो सकता है। इन लोगों को पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकवादी बम बनाने और विस्फोट करने का प्रशिक्षण दे रहे हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इन विस्फोटों की कड़ी निंदा की है और लोगों से शांति और सदभाव बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने मरने वालों के परिवार वालों को एक-एक लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है। बंगलुरू शहर के पुलिस कमिश्नर शंकर बिदरी ने बताया कि विस्फोटों को टाइमर और मोबाइल फोन की सहायता से अंजाम दिया गया। उन्होंने कहा कि जिसने अ...

बंगलुरू को झटका दे सकते हैं गुड़गांव और नोएडा!

भारत में आईटी कंपनियों का नाम आते ही लोगों के दिमाग में बंगलुरू शहर का नाम सबसे पहले आता है। लेकिन आने वाले दिनों में बंगलुरू से यह पहचान छिन सकती है। और आईटी कंपनियों के लिए गुडगांव तथा नोएडा प्रमुख ठिकाना बन सकते हैं। देश के जाने माने बिजनेस चैंबर एसोचैम की एक ताजा रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के करीब स्थित गुडगांव और नोएडा बैकिंग, बीमा, फार्मा, आटो, एफएमसीजी और विनिमार्ण क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों को बीपीओ और सूचना प्रौद्योगिकी सेवा देने वाली कपंनियो का ज्यादा पंसदीदा केन्द्र बनते जा रहे हैं। इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि बेंगलूरु में ढांचागत सुविधाएं तेजी से घटती जा रही हैं। जबकि गुडगांव और नोएडा में इनका तेज विकास हो रहा है। ऐसी स्थिति में आईटी कंपनियां इन शहरों की ओर रुख करने लगी हैं।

प्लॉट पर मकान न बनाने वालों पर सख्ती

जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) की योजनाओं में जमीन लेकर मकान नहीं बनाने वालों पर सख्ती करने की तैयारी की जा रही है। उल्लेखनीय है कि जेडीए की योजनाओं में लोगों ने जमीन तो खरीद ली, लेकिन सालों बीत जाने के बावजूद मकान नहीं बनाए हैं। इसके चलते जेडीए अब सख्त कदम उठाने के मूड में है। सूत्रों का कहना कि खाली प्लॉटों में मकानों के निर्माण को बढ़ावे के लिए जेडीए नियमों में सख्ती बरतने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए तय समय में मकान नहीं बनाने पर निर्माण अवधि बढ़ाने की प्रक्रिया में सख्ती बरती जाएगी। अगर आवश्यक हुआ तो उनके आवंटन को निरस्त भी किया जाएगा। जेडीए के एक उच्चाधिकारी के अनुसार भूमि निस्तारण अधिनियम, 1974 के नियमों में आवश्कता से अधिक लचीलापन व अवधि बढ़ाने के जेडीए कार्यसमिति के असीमित अधिकारों पर अंकुश लगाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए बाकायदा नगरीय विकास विभाग को भी सूचित कर दिया गया हैं। अवधि बढ़ाने के एवज में जेडीए एक नियत राशि आवंटी से वसूल करता है। अवधि बढऩे के सरल नियमों के चलते जेडीए की कई योजनाओं में अभी तक प्लॉटों में निर्माण कार्य नहीं हो सका हैं। नियमों के...